शेरो-शायरी
जमाने
भर मै मिलते है आशिक कई ,
मगर
वतन से खुबसुरत कोई सनम नही होता ,
सोने
मै लिप्टे मेरे शासक कई ,
मगर
तिरन्गेसे खुबसुरत कोई कफन नही।
जब
जरासी मुस्कान से फोटो अच्छी आ सकती है
तो
हमेशा मुस्कुरानेसे जिंदगी अच्छी क्यू नाही हो सकती है।
मंझील
इन्सान को हौसले आजमाती है
सपनो
के परदे आंखोंसे हटाती है ।
किसी
भी बात से हिम्मत ना हारना
ठोकर
ही इन्सान को चलना सिखाती है ।
जब
टुटने लगे हौसला तो बस ये याद रखना
बिन
मेहनत के हासील तख्त ओ ताज नही होते
ढून्ड
लेना अंधेरे मै ही मंझील अपनी दोस्तो
क्योंकी
जुगुनु कभी रोशनी के मोहताज नही होते ।
कोल्हापूर - प्रोफे. सौ . आर . एम. भागवत
19/09/2013 प्रायव्हेट
एज्युकेशन सोसायटी
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